आधुनिक चिकित्सा पद्धति का विकासक्रम Evolution / History of Modern Medical Practices (Allopathy) in Hindi

आधुनिक चिकित्सा पद्धति का विकासक्रम Evolution / History of Modern Medical Practices (Allopathy) in Hindi


पुरातनकालीन भित्तिका-चित्रों और गुफाओं की अनुकृतियों के आधार पर इस बात की पुष्टि होती है कि उस समय मनुष्य को शरीर-रचना और विकृत अंगों का पूरा ज्ञान था। मनुष्यों और पशुओं के प्रजनन सम्बन्धी रोगों के चित्र भी इन गुफाओं में मिलते हैं। मिर्जापुर किले के लिखुनिया स्थित प्रपात के भित्ति चित्रों में इस तरह के अनेक चित्र मिलते हैं, जो इसके प्रणाम हैं कि भारत के इस क्षेत्र में मनुष्य संसार के अन्य भाग से अधिक विकसित थे।

पुरानी गुफाओं और भित्ती चित्रों से यह ज्ञात होता है कि ईसा के 9000 वर्ष पूर्व मनुष्य ने कुछ शल्य-क्रिया की विधियों का प्रयोग भी किया था। ऐसी विधियाँ शरीर के अंदर प्रविष्ट हुई दुष्ट आत्माओं को बाहर निकालने के लिए सम्भवतः प्रयोग की जाती थी, जिसमें सिर की हड्डी में छेद करके मस्तिष्ट का तनाव कम कर दिया जाता था। ग्रीक के इतिहास में एक रोगी के ऊपर इस तरह की गई शल्य क्रिया के प्रणाम मिलते हैं। आज भी इस तरह की शल्य क्रिया को मस्तिष्ट के ट्यूमर की जांच के लिए बायोप्सी (biopsy) करने के लिए किया जाता है। इस आपरेशन का एक दूसरा पक्ष भी है और वह यह कि कुछ स्थानों में इस विधि द्वारा निकाली गयी हड्डी गले में बांधकर लटकाई जाती थी, ताकि दुष्ट आत्माओं की छाया उस पर न पड़ सके।

भारत History of Allopathy in India

भारत में चिकित्सा इतिहास बहुत ही प्राचीन है। 5000 ई.पू. सिंधु घाटी के मेहरगढ़ में दांतो की केवेटी को ठीक करने के लिए ड्रिल द्वारा भरने की विधि के बारे में पता चलता है। सर्जन सुश्रुत (Sushruta) ने अपनी पुस्तक संहिता में विभिन्न सर्जिकल विधियों का वर्णन किया है, जिसमें कि टूटी हड्डियों को जोड़ना, आंतों की रूकावट को दूर करना, मोतिताबिंद के आपरेशन आदि का विवरण मिलता है। महश्रि चरक (Charaka) द्वारा भी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणालियों के बारे में विवरण मिलता है, जिसमें दवाईयों द्वारा विभिन्न बीमारियों को ठीक करने का उल्लेख है।

मिस्त्र History of Allopathy in Egypt

मिस्त्र में चिकित्सा-शास्त्र का विकास नील नदी की संस्कृति के उत्थान और पतन के साथ-साथ ही हुआ। मिस्त्र की आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में सबसे बड़ी देन है शरीर-रचना का पर्याप्त अध्ययन। मिस्त्र में पिरामिडों के अन्दर मृत शरीर सुरक्षित रखने की कला ईसा के 3500 वर्ष पूर्व ही प्रचलित हो चुकी थी। मिस्त्र की चिकित्सा-पद्धति की विशिष्टता थी उसमें धर्म का समायोजन। इस परम्परा में अनेक देवताओं का आवाहन करके चिकित्सा की जाती थी। मिस्त्र में इमहोतेप (Imhotep) (2600 वर्ष ईसा पूर्व) हुए, जिन्हें चिकित्सा शास्त्र का पूरा ज्ञान था। सर विलियम ओसलर (Sir William Osler) ने उन्हें रियल फादर आॅफ मेडिशन कहा है।

चिकित्सा विज्ञान के विकास में दुष्ट आत्माओं द्वारा रोग फैलाने की धारणा का एक विशेष महत्व है, इन दुष्ट आत्माओं से मुक्ति के लिये रोगी को खाने-पीने के लिए विभिन्न पदार्थ दिये जाते थे जिसे कि लोग दैनिक रूप से उपयोग नहीं करते थे। इस प्रकार रोग, कारण और औषधी के सम्बन्ध की परम्परा का विकास हुआ और भूमि के अंदर पाये जाने वाले खनिज लवण, गंधक, ताम्र और पारे का प्रयोग प्रारम्भ हुआ।

ग्रीस History of Allopathy in Greece

शल्य चिकित्सा का विकास भी सम्भवतः ग्रीक चिकित्सा में खतने की प्रक्रिया से हुआ होगा। घाव को चीरने एवं कटे अंगों को सीने की पद्धति का विकास भी यहीं से हुआ तथापि मस्तिष्ट में छेद करने की कला एवं अंगों को काटने की कला का विकास अब तक यहां नहीं हुआ था। मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में सुमेरियन (Sumerian) काल में लेखनकला का विकास हुआ और राजा अषुरबनिपाल (Ashurbanipal) के यहां स्लेटों पर उत्कीर्ण पुस्तकलाय के आधार पर (700 ईसापूर्व) प्रणाम मिलते हैं कि ग्रीक और मेसोपोटामियन-चिकित्सा में काफी समानता थी।

ईसा पूर्व 2000 वर्षों तक राजा हम्मूरबी (Hammurabi) द्वारा निर्धारित नियमों के अन्तर्गत हर चिकित्सक को चिकित्सा करनी होती थी और उसका पालन न करने पर कठोर राजदण्ड भुगतना पड़ता था। बेबिलोनिया (Babylonia) में इस काल तक चिकित्सकों कम से कम 250 पौधे, 120 खनिज-लवणों का ज्ञान हो चुका था। आसीरिया में रहने वालों को गंधक का भी प्रयोग करना आता था, जो कि आज तक औषधि के रूप में प्रयुक्त होता है।

  • Share with your friends

  • Follow for more

  • Thank you❤. 

Post a Comment

Previous Post Next Post